Manas Yoga Seva Trust

गाय आधारित प्राकृतिक खेती का महत्व

मानस योग सेवा ट्रस्ट गौ-आधारित प्राकृतिक खेती पर विशेष रूप से केंद्रित है। वर्ष 20.. से ही ट्रस्ट प्राकृतिक खेती एवं इससे जुड़े अनुसंधान और विकास के कार्यों में सक्रिय रूप से लगा हुआ है। वर्तमान में ट्रस्ट कुल 1.. एकड़ भूमि में प्राकृतिक खेती कर रहा है, जिसमें मौसम के अनुसार सब्जियाँ, अनाज, मसाले, तिलहन, चारा और बागवानी फ़सलों की खेती की जाती है।

प्राकृतिक खेती का दृष्टिकोण

ट्रस्ट का मानना है कि कृषि को समृद्ध करने के लिए हमें अपनी प्राचीन पारंपरिक कृषि पद्धतियों को पुनर्जीवित करना आवश्यक है। आज अधिकांश किसान रसायनों का उपयोग कर रहे हैं, जिसके चलते भूमि बंजर होती जा रही है और उत्पादन में कमी आ रही है। हमारा उद्देश्य किसानों को यूरिया, डीएपी और कीटनाशकों का उपयोग न करने के लिए प्रोत्साहित करना और उनकी पारंपरिक प्राकृतिक खेती की विधियों को समझने में मदद करना है।

प्राकृतिक उर्वरक और कीटनाशकों का उत्पादन

ट्रस्ट गोबर, गोमूत्र, छाछ, राख और विभिन्न पौधों से प्राकृतिक उर्वरक व कीटनाशक तैयार करता है। साथ ही, इन इनपुट्स का खेतों में परीक्षण और दस्तावेज़ीकरण भी किया जाता है।

उर्वरकों का प्रमाणीकरण

मानस योग सेवा ट्रस्ट द्वारा विकसित सभी प्राकृतिक उर्वरकों को वैज्ञानिक मान्यता दिलाने के लिए हम सतत प्रयास करते हैं। इस उद्देश्य से, कच्छ विश्वविद्यालय एवं कुकमा स्थित कृषि विज्ञान केंद्र के साथ मिलकर इन उर्वरकों के प्रयोगशाला और मैदानी परीक्षण किए जाते हैं।

प्रशिक्षण शिविर

वर्ष 2011 से ट्रस्ट देशी गाय-आधारित प्राकृतिक खेती पर तीन-दिवसीय प्रशिक्षण शिविर आयोजित कर रहा है। अब तक कई सफल शिविरों का आयोजन हुआ है, जिनमें सफल किसानों के अनुभव साझा किए जाते हैं।

धरा पुत्र योजना

इस योजना के तहत, हम आसपास के गाँवों के किसानों को प्राकृतिक खेती अपनाने हेतु प्रोत्साहित करते हैं और उन्हें तकनीकी सहायता प्रदान करते हैं।

कृषि उत्पाद मूल्य संवर्धन केंद्र

ट्रस्ट परिसर में कृषि उत्पादों का एक मूल्य संवर्धन केंद्र स्थापित किया गया है, जहाँ प्राकृतिक खेती से प्राप्त फसलों का प्रसंस्करण कर उनका मूल्य बढ़ाया जाता है।

कृषि उत्पादों का विपणन

ट्रस्ट द्वारा उत्पन्न कृषि उत्पादों का उपयोग ट्रस्टियों के परिवारों द्वारा निजी रूप से किया जाता है। अतिरिक्त उत्पादन को स्वदेशी मॉल और दुकानों के माध्यम से बेचा जाता है।

गौशाला

हम जिस प्राकृतिक खेती के मॉडल पर कार्य कर रहे हैं, वह देशी गायों पर आधारित है। ट्रस्ट की गौशाला में गोकुल नस्ल की गायों का पालन-पोषण किया जाता है।

सामूहिक प्रयास

हम मिश्रित खेती, बीज संरक्षण और औषधीय पौधों के रोपण जैसी विभिन्न कृषि पद्धतियों पर प्रयोग कर रहे हैं। कृषि प्रकृति की रचना और व्यवस्था का एक अभिन्न हिस्सा है। यदि किसान प्रकृति की इस प्रणाली को समझ लें, तो वे अपने खेतों को “नंदन वन” में परिवर्तित कर सकते हैं। आज, हमारे लिए ज़रूरी है कि हम अपनी कृषि पद्धतियों को प्रकृति और वास्तविक विज्ञान के साथ जोड़कर आगे बढ़ाएँ।